UP Contract Employees Salary Hike: सुप्रीम कोर्ट से यूपी के 45 हजार प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) जवानों को कई बर्षो के संघर्ष के बाद बड़ी राहत मिली है जिसमें पीआरडी जवानों को उत्तर प्रदेश पुलिस और होमगार्ड के समान वेतन देने का आदेश दिया गया था सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद कोर्ट के उस फैसले को ठीक बताया है अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश दिया है कि सभी 45,000 पीआरडी जवानों को यूपी पुलिस और होमगार्ड के बराबर वेतन दिया जाए।
कौन होते हैं पीआरडी जवान?
पीआरडी का पूरा नाम प्रांतीय रक्षक दल है यह स्वयंसेवी बल है जिसका गठन उत्तर प्रदेश प्रांतीय रक्षक दल अधिनियम 1948 में किया गया था इनका मुख्य काम शांति और व्यवस्था बना रखना और पुलिस की सहायता करना है यह जवान होमगार्ड एक्ट बनने से पहले अपनी सेवा दे रहे हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले उन पीआरडी जवानों को समान वेतन देने का आदेश दिया था जिसकी याचिका कोर्ट में लंबित थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह लाभ सभी 45,000 PRD जवानों को मिलना चाहिए।
आखिर क्या था मामला?
उत्तर प्रदेश में तैनात पीआरडी जवान भी होमगार्ड और पुलिस कर्मियों की तरह कंधे से कंधा मिलकर काम कर रहे हैं चाहे वह ट्रैफिक व्यवस्था को संभालना हो किसी अन्य वीआईपी ड्यूटी में सुरक्षा देना हो या फिर त्यौहार और भीड़ नियंत्रित करना हो PRD जवान हर मोर्चे पर तैयार रहते हैं फिर भी उनके वेतन और सुविधाओं में जमीन आसमान का फर्क है उनका वेतन होमगार्ड से काफी कम है इसी के खिलाफ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पीआरडी जवानों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटकाया है
सुप्रीम कोर्ट ने पीआरडी जवानों के पक्ष में सुनाया फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले केवल उन PRD जवानों को समान वेतन देने का आदेश दिया था जिनकी याचिका कोर्ट में लंबित थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सुबिधा यूपी के सभी 45,000 पीआरडी जवानों को मिलनी चाहिए वकील विनोद शर्मा ने सभी होमगार्ड जवानों के लिए बने एक्ट के अनुसार समान वेतन देने को कहा है उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के PRD जवानों ने इस एक समान वेतन को लेकर इलाहाबाद और नैनीताल के हाईकोर्ट का रुख किया है उनकी मांग थी कि होमगार्ड पीआरडी जवानों का काम एक जैसा है तो वेतन भी एक समान दिया जाना चाहिए इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले केवल उन PRD जवानों को समान वेतन दिया था जिन के द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई थी इस फैसले से यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी जवानों के हक में फैसला सुनाया । सभी 45 हजार जवानों को तब तक वेतन मिले जब तक उनका आखिरी फैसला नहीं आ जाता यह सर्वोच्च न्यायालय ने वेतन के लिए फैसला सुनाकर निर्देश दिया है।