UPTET Latest News: उत्तर प्रदेश के हजारों कार्यरत शिक्षकों (Teachers) की चिंता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से बढ़ गई है। अदालत ने कक्षा 1 से 8वीं तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया है। न्यूनतम योग्यता पूरी न होने के कारण शिक्षक अब परीक्षा में आवेदन भी नहीं कर पाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद TET पास न करने वाले अध्यापकों के लिए चिंता बढ़ गई है क्योंकि कोर्ट ने एक से आठ तक के कक्षाओं के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य कर दिया है शिक्षक संगठन के अनुसार पांच श्रेणियो के शिक्षक टीईटी में आवेदन नहीं कर सकेंगे।
कौन नही कर सकता टीईटी में आवेदन ?
- जिन्होंने वर्ष 2000 के पहले से जॉइन किया है
- स्नातक में न्यूनतम अंक पाने वाले शिक्षक
- विशिष्ट बीटीसी ( बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट)/बीएड धारक
- मृतक आश्रित द्वारा नियुक्त शिक्षक
- डीपीएड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन)
- बीपीएड (बैचलर ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन) शिक्षक इसमें आवेदन नहीं कर पाएंगे।
न्यूनतम शिक्षा के अभाव में भी होगी दिक्कत
शिक्षा संगठन का मानना है कि कार्यरत कई शिक्षक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के अभाव में टीईटी के लिए आवेदन नहीं कर पाते हैं टेट के लिए स्नातक और बीटीसी आवश्यक है किंतु बहुत से शिक्षक इसे पूरा नहीं कर पाए हैं।
बहुत से आवेदक की कम है प्रतिशतता
जिन शिक्षकों के स्नातक में 45% अंक है उन्हें भी आवेदन में दिक्कत आ सकती है संगठनों का दावा है कि 50 हजार से अधिक कार्यरत शिक्षकों के पास टीईटी में बैठने की न्यूनतम योग्यता ही नहीं है।
संगठन सरकार के हस्तक्षेप की अपील कर रहा है नियम स्पष्ट है कि टीईटी के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक के साथ बीटीसी और स्नातक में काम से कम 45% अंक होना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट में की है दोबारा मांग
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठन संयुक्त मोर्चा ने दोबारा याचिका दाखिल की है और उनके लिए उचित न्याय की मांग की है उन्होंने कहा है कि सरकार को इस आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए और कार्यरत शिक्षकों को राहत देने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। अन्यथा, हजारों परिवारों जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और शिक्षा व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
प्रदेश के अलग अलग शिक्षक संगठन इस फैसले से चिंतित हैं और सरकार के इस फैसले के खिलाफ अपील की हैं। संगठनों ने कहा है कि शिक्षक बड़ी संख्या में काफी समय से पढ़ा रहे है, लेकिन नए नियमों के आने के बाद से उनका भविष्य बीच रुक गया है।बहुत से संगठन संयुक्त मोर्चा बनाकर इस मामले को दोबारा सुप्रीम कोर्ट में उठाने की तैयारी कर रहे हैं।